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शाइन जैकब / चेन्नई 09 30, 2022 |
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ऐपल आईफोन वैश्विक स्मार्टफोन बाजार के राजस्व में 44 फीसदी हिस्सेदारी रखता है और यह सैमसंग के बाद दूसरा सबसे बड़ा डिवाइस है जिसे आयात किया जाता है। अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले आधे से ज्यादा स्मार्टफोन आईफोन हैं।
बाजार शोध एवं विश्लेषण फर्म टेकार्क के अनुसार, 2022 में भारत में 70 लाख से ज्यादा आईफोन बेचे जाने की उम्मीद है, जिससे इसके उपयोगकर्ता बढ़कर 2 करोड़ हो जाएंगे। इसलिए, ऐपल द्वारा भारत में आईफोन 14 के लिए अपने उत्पादन लक्ष्य को कम करने की खबर चर्चा में आ गई है। हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार कम मांग के कारण आईफोन 14 के उत्पादन लक्ष्य को कम करने से ऐपल की भारत योजनाओं पर मामूली या कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है। ऐपल ने इस साल की दूसरी छमाही के लिए अतिरिक्त 60 लाख यूनिट का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है, पिछले साल इसने 9 करोड़ यूनिट का लक्ष्य रखा था।
कंपनी भारत में पहली बार आईफोन 14 को चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में अपने वैश्विक पार्टनर फॉक्सकॉन की इकाई में बना कर रही है। इंटरनैशनल कंसल्टेंसी आर्थर डी लिटिल, इंडिया के मैनेजिंग पार्टनर बार्निक माइत्रा ने कहा, यूनिट को आईफोन 14 और आईफोन 14 प्लस बनाना था इसलिए मुझे उम्मीद है कि निकट अवधि में इसके उत्पादन पर कम से कम असर पड़े।
माइत्रा ने कहा कि ऐपल ने इन सभी आपूर्तिकर्ताओं को आईफोन 14 प्रो मैक्स उत्पादन जैसे उच्च मांग वाले मॉडल को आयात करने का प्रयास करने के लिए कहा है। मुझे नहीं पता कि भारत में बनी इकाईयां इस आयात को जल्दी से करने की क्षमता रखती है।
ऐपल ने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के सवालों का जवाब नहीं दिया। उद्योग के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि ऐपल द्वारा आईफोन 14 के निर्माण पर भारत में टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
ऐपल का संशोधित लक्ष्य जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद बनाया गया था जिसमें कहा गया था कि स्मार्टफोन की दिग्गज कंपनी अपने आईफोन उत्पादन का एक चौथाई हिस्सा 2025 तक भारत में स्थानांतरित कर सकती है। ब्रोकरेज ने संकेत दिया कि आईफोन 14 उत्पादन का 5 फीसदी 2022 के अंत तक भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है।
माइत्रा ने कहा कि 2025 के दृष्टिकोण से, मुझे नहीं लगता कि हम इससे चूकने वाले हैं। आईफोन 14 के फैसले के कारण, एक या दो तिमाही के लिए अस्थायी झटका लग सकता है। आईफोन 14 की मांग कम होने की एक बड़ी वजह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी को माना जा रहा है।
बाजार शोध फर्म कन्वर्जेंस कैटलिस्ट के सह-संस्थापक जयंत कोल्ला ने कहा कि यह केवल एक सूची प्रबंधन और संचालन की व्यवस्था है। पहले भी हमने ऐसे मॉडल देखे हैं जिनकी शुरुआती मांग नहीं थी और बाद में बिक्री में तेजी आई। विकसित दुनिया में मंदी है और इसलिए मांग धीमी हो सकती है।
कोल्ला ने कहा कि ऐपल को एशिया में उभरते बाजारों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने वाली अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में आईफोन 14 बनाने के लिए ऐपल के फैसले से महंगे फोन निर्माताओं को देश में दुकान स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे भारत में महंगे फोन की कीमत भी कम हो सकती है, जिससे कुछ मामलों में अमेरिकी बाजार की तुलना में भारत में फोन की कीमत में कम से कम 60-70 फीसदी का अंतर हो जाता है।