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उत्तर कोरिया से हथियार डील पर धमकी का रूस ने लिया बदला, US के 2 अफसरों को निकाला

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रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन।

उत्तर कोरिया के साथ किसी तरह की हथियार डील करने की धमकी मिलने के 24 घंटे के भीतर ही रूस ने अमेरिका से बदला ले लिया है। रूस ने 2 अमेरिकी राजनयिकों को अपने देश से निष्कासित कर दिया है। इससे अमेरिका में खलबली मच गई है। बता दें कि अभी 2 दिन पहले ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन में मुलाकात हुई थी। इसके बाद अमेरिकी ने रूस को उत्तर कोरिया से किसी तरह के हथियार की डाल करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। कहा जा रहा है कि रूस की यह कार्रवाई अमेरिका से इस रूप में बदला लेने की एक कवायद हो सकती है। 

बता दें कि रूस के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को अमेरिका के दो राजनयिकों को ‘‘अवैध गतिविधि’’ में शामिल होने के आरोप में ‘‘अवांछित व्यक्ति’’ घोषित किया और उन्हें 7 दिन के भीतर देश छोड़कर जाने का आदेश दिया। मंत्रालय ने एक बयान में आरोप लगाया कि रूस में अमेरिकी दूतावास के प्रथम सचिव जेफ्रे सिलिन और द्वितीय सचिव डेविन बर्नस्टीन व्लादिवोस्तोक में अमेरिकी दूतावास के पूर्व कर्मचारी के ‘‘संपर्क में रहे’’ जिसे इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। पूर्व कर्मचारी पर यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई तथा संबंधित मुद्दों के बारे में अमेरिकी राजनयिकों के लिए सूचना एकत्रित करने का आरोप है।

अमेरिकी राजदूत को रूस ने किया तलब

अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया के साथ किसी भी तरह की हथियार डील के न करने की चेतावनी मिलने के बाद रूस मौके की तलाश में था। बयान के अनुसार, रूस में अमेरिका की राजदूत लिन ट्रेसी को बृहस्पतिवार को तलब किया गया और उन्हें सिलिन तथा बर्नस्टीन को निष्कासित किए जाने की सूचना दी गई। मॉस्को में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी सरकार ‘‘उचित जवाब’’ देगी। इस बीच, स्लोवाकिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करने को लेकर देश की राजधानी ब्रातिस्लावा में रूसी दूतावास के एक राजनयिक को निष्कासित कर रहा है। उसने कथित उल्लंघन की कोई जानकारी नहीं दी। स्लोवाकिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।

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अमेरिकी दूतावास ने किया कमाल, US जाने वाले भारतीयों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है

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भारतीयों को जारी किए 10 लाख से ज्यादा वीजा

America-India Visa: अमेरिका में भारतीयों को दूतावास ने 10 लाख से अधिक वीजा जारी किए हैं। साल 2023 में यह आंकड़ा 2019 के आंकड़े से 20 फीसदी अधिक है। इस तरह अमेरिकी मिशन ने 2023 में 10 लाख गैर-आप्रवासी वीजा आवेदनों को संसाधित करने के अपने लक्ष्य को पार कर लिया है। अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को घोषणा की कि मिशन ने 2022 में संसाधित मामलों की कुल संख्या को पहले ही पार कर लिया है। साथ ही महामारी 2019 से पहले की तुलना में लगभग 20% अधिक आवेदनों पर कार्रवाई कर रहा है। 

भारत से रिश्ते हुए और मजबूत 

भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने दूतावास के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, ‘भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय सहयोग और संबंध काफी गहरे हैं। साथ ही दोनों देशों के रिश्ते सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक है। हमारे लोगों के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। यही नजीं, हम आने वाले महीनों में अधिक से अधिक भारतीय आवेदकों को अमेरिका की यात्रा करने और अमेरिका-भारत मित्रता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर देने के लिए वीजा कार्य की रिकॉर्ड-सेटिंग मात्रा जारी रखेंगे’।

कितना है रोजगार वीजा आवेदकों का आंकड़ा

पिछले वर्ष, 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अमेरिका की विजिट की। यह विश्व में सबसे मजबूत यात्रा संबंधों में से एक बन गया। अमेरिकी दूतावास के मुताबिक भारतीय अब दुनियाभर में सभी वीजा आवेदकों में से 10 प्रतिशत से अधिक का रिप्रेजेंट करते हैं। इसमें सभी छात्र वीजा आवेदकों में से 20 फीसदी और सभी एच एंड एल-श्रेणी (रोजगार) वीजा आवेदकों में से 65 फीसदी शामिल हैं।  

अमेरिकी वीजा की निरंतर मांग को ध्यान में रखते हुए, दूतावास ने कहा कि अमेरिका भारत में अपने परिचालन में भारी निवेश कर रहा है। पिछले वर्ष में, मिशन ने पहले से कहीं अधिक वीज़ा प्रसंस्करण की सुविधा के लिए अपने स्टाफ का विस्तार किया है। मिशन ने मौजूदा सुविधाओं, जैसे चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, में महत्वपूर्ण पूंजीगत सुधार किए हैं और हैदराबाद में एक नए वाणिज्य दूतावास भवन का उद्घाटन किया है।

एरिक ने सौंपा 10 लाख वां वीजा


अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने व्यक्तिगत रूप से एक कपल को दस लाख वां वीजा सौंपा है, जो एमआईटी में अपने बेटे के स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रहे हैं। लेडी हार्डिंग कॉलेज की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. रंजू सिंह अमेरिकी दूतावास से इस वर्ष अपना दस लाख का वीजा मिलने के बारे में एक ईमेल प्राप्त करके बहुत खुश थीं। उनके पति पुनीत दर्गन को अगला वीजा दिया गया। 

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अंजाम तक पहुंची नागोर्नो काराबाख की जंग, अजरबैजान ने 30 वर्ष बाद किया कब्जा

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नागोर्नो-काराबाख की जंग।

करीब 30 वर्षों की लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अजरबैजान ने फिर से नागोर्नो-काराबाख पर कब्जा पा लिया है। अभी तक यह शहर आर्मीनिया के अधीन था। यहां आर्मीनिया के सैनिकों का शासन था। मगर पिछले कई वर्षों से आर्मीनिया और अजरबैजान में नागोर्नो-काराबाख के लिए भीषण जंग हुई है। दोनों पक्षों की ओर से हजारों सैनिकों और लोगों की जानें गई। अब जाकर अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को अपने कब्जे में ले लिया है। लिहाजा अब यहां की अलगाववादी सरकार भी शीघ्र ही भंग हो जाएगी।

नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि एक जनवरी 2024 तक खुद को भंग कर देगी। हाल ही में अजरबैजान ने अपने से अलग हुए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए आक्रामक कार्रवाई की थी और नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनियाई सैनिकों से अपने हथियार डालने तथा अलगाववादी सरकार से खुद को भंग करने के लिए कहा था। इसके बाद नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार की ओर से यह ऐलान किया गया है।

अलगाववादियों ने 30 वर्षों तक किया नागोर्नो-काराबाख पर शासन

नागोर्नो-काराबाख पर लगभग 30 वर्षों तक अलगाववादियों का शासन था। नागोर्नो-काराबाख पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद अजरबैजान ने बुधवार को कहा कि क्षेत्र की अलगाववादी सरकार के पूर्व प्रमुख को आर्मेनिया में घुसने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। अजरबैजान के सीमा सुरक्षा बल ने रुबेन वर्दनयान की गिरफ्तारी की घोषणा की। बल ने कहा कि वर्दनयान को देश की राजधानी बाकू ले जाकर ‘‘संबंधित प्राधिकारियों’’ को सौंप दिया गया, जो उनके बारे में फैसला करेंगे। (एपी)

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ऑस्ट्रेलियाई सांसदों की ताइवान यात्रा पर बौखलाया चीन, ड्रैगन ने कह डाली ये बात

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चीनी राजदूत शिआओ किआन।

ऑस्ट्रेलियाई सांसदों द्वारा ताइवान का दौरान करने पर चीन बुरी तरह बौखला गया है। ड्रैगन ने ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे की आलोचना की है। ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन के राजदूत ने ताइवान जाने वाले आस्ट्रेलियाई नेताओं की बृहस्पतिवार को खूब आलोचना की और कहा कि स्वशासित द्वीप के अलगाववादी उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। राजदूत के इस बयान से चीन की बौखलाहट को समझा जा सकता है।  राजदूत शिआओ किआन ने यह बात इस सप्ताह ताइवान गए ऑस्ट्रेलियाई संसदीय प्रतिनिधिमंडल के संदर्भ में सिडनी में कही।

इस यात्रा के अलावा एक पूर्व प्रधानमंत्री की अगले माह ताइपे में भाषण देने की भी योजना है। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। शिआओ ने कहा कि ताइवान जाने वाले ऑस्ट्रेलियाई सांसद तथा पूर्व प्रधानमंत्री‘‘ का राजनीतिक महत्व है।’’ चीनी राजदूत ने कहा, ‘‘ताइवान में राजनीतिक शक्तियां अपने अलगाववादी अंदोलन के लिए इसका आसानी से इस्तेमाल कर लेंगी और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि वे एक चीन नीति को मानेंगे और ताइवान के साथ किसी भी तरीके से कामकाज करने से दूरी बनाएंगे ताकि वे राजनीतिक उद्देश्य रखने वाले द्वीप के लोगों द्वारा राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल नहीं हों।

राजदूत ने कहा-चीन का हिस्सा है ताइवान

चीनी राजदूत ने कहा कि’’ ‘एक चीन नीति’ के अनुसार कम्युनिस्ट पार्टी चीन की सरकार है और ताइवान देश का हिस्सा है। चीन की सरकार ने ताइवान की सत्तारुढ़ पार्टी पर बुधवार को स्वतंत्रता हासिल करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने दौरे पर आए छह ऑस्ट्रेलियाई सांसदों के साथ बैठक में एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया के समर्थन की पैरवी की थी। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की 11 और 12 अक्टूबर को ताइपे में युशान फोरम को संबोधित करने की योजना है। (एपी)

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