Image Source : TWITTER FILE
ईरान के प्रेसीडेंट 20 साल बाद गए चीन
Iran-China: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी मंगलवार को तीन दिन की यात्रा पर चीन पहुंचे हैं। चीन पहुंचकर उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। किसी भी इरानी राष्ट्रपति की 20 साल बाद यह पहली यात्रा है। इस यात्रा पर भारत की पैनी नजर है। दरअसल, ईरान और चीन दोनों अमेरिका के दुश्मन है। ऐसे में ईरान, ड्रैगन के बहकावे में आकर भारत के विरुद्ध किसी एग्रीमेंट पर साइन करने पर मजबूर हो सकता है। शातिर चीन किसी भी देश का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने से बाज नहीं आता है।
ईरान के राष्ट्रपति दिवसीय चीन यात्रा पर गए हैं। दोनों देशों की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब दोनों देशों पर कई मुद्दों को लेकर पश्चिम का दबाव है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर 20 साल बाद यह किसी ईरानी राष्ट्रपति की यात्रा है। इब्राहिम रईसी की यह यात्रा दोनों देशों के लिए ही महत्व नहीं रखती, बल्कि सीधे तौर पर भारत को भी प्रभावित करती है। ऐसे में जरूरी है कि भारत इस पर अपनी निगाह टिकाए रखे।
जानिए भारत को क्या है खतरा?
वैसे तो ईराना और भारत के संबंध दोस्ताना रहे हैं। चीन के कराची में ग्वादर बंदरगाह बनाने के बाद भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह बनाया। तब ईरान ने भारत को मदद की। ताकि चीन को जवाब दिया जा सके और चाबहार के माध्यम से मध्य एशिया में भारत कारोबार कर सके। लेकिन ईरान के राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत के लिहाज से चिंताजनक हो सकती है। क्योंकि चीन और ईरान दोनों ही अमेरिकी के विरोधी हैं। वहीं अमेरिका भारत का काफी बड़ा साझेदार है। ऐसे में चीन ईरान का उपयोग भारत के खिलाफ कर सकता है।
दूसरा, ईरान हर हाल में अमेरिका को घेरना चाहता है, जिसके लिए उसे चीन और रूस की जरूरत होगी। जिस अमेरिका को ईरान घेरना चाहता है, उससे भारत के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में डर इस बात है कि चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर न चाहते हुए भी ईरान भारत विरोधी ब्लॉक न बना दे।
2022 में शंघाई समिट में भी जिनपिंग से मिल चुके हैं ईरान के राष्ट्रपति
वैसे दोनों नेताओं की मुलाकात कोई नई नहीं है। सितंबर 2022 में शंघाई सहयोग संगठन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात हुई थी। चीन के मीडिया का कहना है कि रईसी के 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों ने 25 साल के रणनीतिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए और मंगलवार को भी दोनों नेताओं ने कई द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दे पर सहमति जताई। रईसी ईरान के केंद्रीय बैंक के नए गवर्नर और अपने छह मंत्रियों के साथ चीन पहुंचे हैं।
एक बार फिर अमेरिका में गोलीबारी की खबर सामने आ रही है। मामला टेनेसी राज्य के एक स्कूल है जहां एक लड़की शूटर ने हमला किया है। इस दौरान 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। वहीं पुलिस ने शूटर को भी मार गिराया गया है। संदिग्ध ने एक साइड दरवाजे से प्रवेश द्वार के माध्यम से इमारत में प्रवेश किया था।
अधिकारियों ने कहा कि नैशविले के एक निजी ईसाई स्कूल में सोमवार को हुई गोलीबारी में संदिग्ध की मौत हो गई है। वहीं नैशविले अग्निशमन विभाग ने ट्विटर पर कहा कि कई मरीज हैं लेकिन उनकी स्थिति तत्काल स्पष्ट नहीं है।
आर्कन्सास राज्य में भी हुई थी फायरिंग
इससे पहले अमेरिका के आर्कन्सास राज्य की पुलिस ने कहा कि रविवार रात को गोलीबारी की दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गयी तथा पांच लोग घयल हो गए। लिटल रॉक पुलिस विभाग ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि आपात सेवाओं को रात नौ बजकर 25 मिनट पर गोलीबारी की सूचना मिली।
जांच में जुटी पुलिस
घटना में दो लोगों को चोटें आयीं, लेकिन वो जानलेवा नहीं थीं। पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद नजदीकी इलाके में गोलीबारी की दूसरी घटना हुई, जिसमें पांच अन्य लोगों को गोली मारी गई। इनमें से दो लोगों की मौत हो गयी। गोलीबारी की दोनों घटनाएं एशर एवेन्यू के पास स्थित इलाकों में हुईं, लेकिन पुलिस ने अभी इनके आपस में जुड़े होने कोई जानकारी नहीं दी है। पुलिस ने बताया कि दोनों घटनाओं की जांच की जा रही है।
India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। US News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्शन
Image Source : FILE
कंगाल पाकिस्तान पर चौतरफा मार, अब जीवन रक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा जिन्ना का देश
कराचीः कंगाल पाकिस्तान में खाने से लेकर पेट्रोल, बिजली और हर जरूरत की वस्तुओं की किल्लत बनी हुई है। पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो चुका है। अब तो हालत यह हो गई है। जिन्ना के इस कंगाल देश में जीवन रक्षक दवाओं की भी कमी हो गई है।
पाकिस्तान की दवा नियमितता प्राधिकरण (डीआरएपी) की मूल्य निर्धारण नीति और रुपये में गिरावट के कारण पाकिस्तान में अधिकांश आयातित और महत्वपूर्ण दवाओं की अत्यधिक कमी हो गई है, मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। द न्यूज ने बताया, फार्मासिस्ट और जैविक उत्पादों के आयातक अब्दुल मन्नान ने कहा- डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा के अत्यधिक मूल्यह्रास और पाकिस्तान की ड्रग रेगुलरिटी अथॉरिटी (डीआरएपी) की विवादास्पद दवा मूल्य निर्धारण नीति के कारण, उनकी कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं और आयातकों के लिए उन्हें डीआरएपी द्वारा दी गई मौजूदा कीमतों पर लाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो गया है।
दवाओं के आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं को आयातित टीकों, कैंसर उपचारों, प्रजनन दवाओं और एनेस्थीसिया गैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विक्रेताओं ने डॉलर-रुपये की असमानता के कारण अपनी आपूर्ति बंद कर दी है।
द न्यूज ने बताया कि फिलहाल, सबसे महत्वपूर्ण दवा जो स्वास्थ्य सुविधाओं को नहीं मिल रही है, वह हेपरिन है, जो कुछ हृदय संबंधी प्रक्रियाओं के बाद इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह, विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए आइसोफ्लुरेन, सेवोफ्लुरेन के साथ-साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी कुछ महत्वपूर्ण संवेदनाहारी गैसों के साथ-साथ मानव क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और मानव रजोनिवृत्ति संबंधी गोनाडोट्रोपिन (एचएमजी) जैसे प्रजनन उत्पादों को भी डॉलर-रुपये की असमानता और डीआरएपी की मूल्य निर्धारण नीति के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है।
हालांकि अधिकांश ओरल दवाएं जिनमें सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन शामिल हैं, स्थानीय रूप से उत्पादित की जाती हैं, लेकिन भारत, चीन, रूस, यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका और तुर्की से पाकिस्तान सभी टीकों, कैंसर रोधी दवाओं और उपचारों, हार्माेन, प्रजनन दवाओं के साथ-साथ अन्य उत्पादों सहित अधिकांश जैविक उत्पादों का आयात करता है।
बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल के विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया है। इसे अब इजरायली संसद में दोबारा चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। इस कानून के विरोध में इजरायल में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिजर्व सैनिक और इजरायली दूतावासों ने भी विरोध में हड़ताल की है।