दिल्ली अग्निशमन विभाग को दिवाली के अवसर पर आग लगने की घटनाओं से संबंधित 201 कॉल मिलीं, जो पिछले साल की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक हैं। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, विभाग को 2021 में 152, 2020 में 205, 2019 में 245, 2018 में 271, 2017 में 204, 2016 में 243 और 2015 में 290 कॉल मिलीं थीं। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर इलाके में एक कपड़ा फैक्टरी में आग लग गई।
कारखाने की तीसरी मंजिल से चार लोगों को बचाया गया, जबकि आग बुझाने के अभियान में एक दमकलकर्मी को मामूली चोटें आईं हैं। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर पश्चिमी दिल्ली के प्रशांत विहार इलाके में एक रेस्तरां में भी आग लग गई।
उन्होंने कहा कि रात 8 बजकर 50 मिनट पर आग लगने की सूचना मिली, जिसके बाद दमकल की गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया। इससे पहले दमकल विभाग ने कहा था कि वह ऐहतियात के तौर पर रविवार और दिवाली पर शाम पांच बजे से आधी रात तक के लिए 22 स्थानों पर दमकल की गाड़ियां तैनात करेगा।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी की अध्यक्षता में एक आंतरिक समिति को राष्ट्रीय राजधानी में उन 50 स्थानों की पहचान करने का निर्देश दिया गया था, जहां दमकल की गाड़ियों को तैनात किया जा सकता है। इन स्थानों का चयन हर साल दिवाली पर आने वालीं कॉल के विश्लेषण के आधार पर किया गया था। दिल्ली सरकार की ओर से पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने दिवाली की रात जमकर आतिशबाजी की।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पिछले सप्ताह कहा था कि दिवाली पर राष्ट्रीय राजधानी में पटाखे फोड़ने पर छह महीने की जेल हो सकती है और 200 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। कानूनी रोक होने के बावजूद दक्षिणी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली समेत विभिन्न हिस्सों में लोगों ने सोमवार को शाम से ही पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए। इस दौरान तेज आवाज वाले पटाखों की आवाज साफतौर पर सुनी जा सकती थी।
जैसे-जैसे रात आगे बढ़ी पटाखों की आवाज भी तेज होती गई, जिसके चलते कुछ लोगों ने पूछा कि “कोई प्रतिबंध लगा भी है या नहीं।” दिवाली पर पटाखे फोड़ना सदियों पुरानी परंपरा है।
हालांकि, दिल्ली के अधिकारियों ने कहा था कि पर्यावरण संबंधी चिंताओं और इससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों पर विचार करने के बाद प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। पराली जलाने, पटाखे फोड़ने और मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार को ‘बहुत खराब’ हो गई, जिससे प्रदूषण को पैर पसारने का मौका मिल गया।