ITR File: आयकर विभाग ने मंगलवार को कहा कि आकलन वर्ष 2023-24 के लिए 31 जुलाई तक रिकॉर्ड 6.77 करोड़ आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए गए। इनमें से 53.67 लाख लोगों ने पहली बार रिटर्न भरा है। आयकर विभाग ने एक बयान में आईटीआर जमा करने की समयसीमा समाप्त होने के बाद कहा कि कर आकलन वर्ष 2023-24 के लिए 31 जुलाई तक 6.77 करोड़ से अधिक आईटीआर जमा किए गए हैं। यह संख्या पिछले साल की समान अवधि तक जमा 5.83 करोड़ रिटर्न से 16.1 प्रतिशत अधिक है। आयकर विभाग ने वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को आईटीआर जमा करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया था। इसके अलावा वित्त वर्ष 2022-23 में अर्जित आय के ऑडिट की जरूरत न होने वाले टैक्सपेयर भी इस तारीख तक अपना रिटर्न जमा कर सकते थे।
यहां जानें मुख्य बातें
31 जुलाई 2023 तक निर्धारण वर्ष 2023-24 के लिए 6.77 करोड़ से अधिक आईटीआर दाखिल किए गए, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में दाखिल किए गए आईटीआर से 16.1% अधिक है।
31 जुलाई 2023 को एक ही दिन में 64.33 लाख से अधिक आईटीआर दाखिल किए गए।
पहली बार फाइल करने वालों द्वारा लगभग 53.67 लाख आईटीआर दाखिल किए गए, जो कर आधार के विस्तार का एक उचित संकेत है।
5.63 करोड़ रिटर्न ई-सत्यापित। ई-सत्यापित आईटीआर में से, 31 जुलाई, 2023 तक 3.44 करोड़ आईटीआर संसाधित (61%) हो गए।
जुलाई में ही TIN 2.0 भुगतान प्रणाली के माध्यम से 1.26 करोड़ से अधिक चालान प्राप्त हुए।
विभाग ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार वह आईटीआर जमा करने की समयसीमा आगे नहीं बढ़ाएगा। ऐसी स्थिति में समयसीमा खत्म होने के अंतिम दिन यानी 31 जुलाई को 64.33 लाख से अधिक रिटर्न जमा किए गए। आयकर विभाग ने कहा कि इस बार 53.67 लाख से अधिक लोगों ने पहली बार आईटीआर जमा किया है। यह कर आधार में विस्तार का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है। हालांकि जिन कंपनियों और व्यक्तियों के लिए अपने खातों का ऑडिट कराना जरूरी है, उनके लिए वित्त वर्ष 2022-23 में अर्जित आय के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर है। वित्त वर्ष 2022-23 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 20.33 प्रतिशत बढ़कर 19.68 लाख करोड़ रुपये रहा था।
खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।