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ऑनलाइन पेमेंट एग्रिगेटरों को 2020 में आरबीआई की निगरानी में लाया गया |
सुब्रत पांडा / नई दिल्ली 09 30, 2022 |
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ऑनलाइन पेमेंट एग्रिगेटरों को अपने अधीन लाने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अब नियामकीय तालमेल बढ़ाने और आंकड़ा संबंधित मानकों को स्पष्ट बनाने के लिए ऑफलाइन पेमेंट एग्रीगेटर (पीए) को भी अपने दायरे में लाना चाहता है।
केंद्रीय बैंक के मौजूदा नियम ऑनलाइन या ई-कॉमर्स लेनदेन का प्रबंधन करने वाले पीए के लिए लागू हैं और इसमें वे ऑफलाइन पीए शामिल नहीं हैं जो पारंपरिक तौर पर लेनदेन कराते हैं और डिजिटल भुगतान के प्रसार में अहम योगदान देते हैं। आरबीआई ने कहा है, ‘ऑनलाइन और ऑफलाइन पीए द्वारा की जा रही गतिविधियों की समानता को ध्यान में रखते हुए, मौजूदा विनियमन ऑफलाइन पीए के लिए भी लागू करने का प्रस्ताव है। इस प्रयास से नियमन से जुड़ी गतिविधियों और पीए के परिचालन में तालमेल बढ़ने की संभावना है।’
ऑनलाइन पेमेंट एग्रिगेटरों को 2020 में आरबीआई की निगरानी में लाया गया था, जिसमें इन मध्यवर्ती संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन भुगतान क्षेत्र में मुहैया कराई जाने वाली महत्वपूर्ण गतिविधियों को शामिल किया गया था।
पीए यानी पेमेंट एग्रिगेटर ऐसी कंपनियां होती हैं जो ई-कॉमर्स वेबसाइटों और व्यवसायियों को ग्राहकों से उनके भुगतान पूरे करने में मदद मुहैया कराती हैं।
मार्च 2020 में,आरबीआई ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा था कि सिर्फ स्वीकृत कंपनियां ही व्यवसायियों को भुगतान सेवाएं मुहैया करा सकती हैं। केंद्रीय बैंक ने इकाइयों के लिए शर्तें निर्धारित की थीं जो इस तरह का लाइसेंस लेने के लिए जरूरी थीं और कई कंपनियों के आवेदन रद्द किए गए, जबकि कई अन्य को आरबीआईसे मंजूरी मिल गई थी।
पाइनलैब्स, एमस्वाइप, इजीटेप, एफएसएस, हिताची पेमेंट, वर्ल्डलाइन कुछ प्रमुख ऑफलाइन पेमेंट एग्रिगेटर हैं।
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