पूरा देश रिपब्लिक डे का जश्न मनाने के मूड में है। इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज मौसम ने एक बार फिर से करवट बदल दी है। ऐसे में आज रिपब्लिक डे परेड का मजा खराब होने की भी आशंका जताई जा रही है। आज 26 जनवरी को दिल्ली के आसमान में बादल छाए रहने और मध्यम स्तर का कोहरा रहने का अनुमान जताया गया है। इस दौरान विजिबिलिटी का स्तर 200 मीटर तक रह सकता है।
स्काईमेट वेदर के मुताबिक, आज दिल्ली-एनसीआर के एक-दो इलाके में हल्की बारिश हो सकती है। दिल्ली में आज तापमान न्यूनतम 9 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा सकता है। इसके साथ ही तमिलनाडु, उत्तरी पंजाब और उत्तरी हरियाणा के कुछ स्थानों में बारिश हो सकती है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। कर्नाटक और अंडमान- निकोबार द्वीप समूह में भी हल्की से मध्यम बारिश संभव है। केरल और लक्षद्वीप में भी हल्की से मध्यम स्तर की बारिश का अनुमान जताया गया है। वहीं, ऊंची हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हो सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक, एक और नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तरी पाकिस्तान और उससे सटे जम्मू-कश्मीर में बना हुआ है। यह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 27 जनवरी की रात तक पश्चिमी हिमालय तक पहुंच जाएगा। इसके बाद फिर से बारिश और हिमपात का दौर शुरू हो सकता है।
यूपी के मौसम का हाल
मौसम विभाग के मुताबिक, गुरुवार को भी पश्चिमी यूपी के कई जिलो में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है, जबकि पूर्वांचल में भी कुछ जगहों पर हल्की बारिश की चेतावनी जारी की गई है। विभाग ने राज्य में आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना जताई है। इसके अलावा ज्यादा ओलावृष्टि होने पर किसानों की फसल खराब होने की संभावना है। ओलावृष्टि को लेकर भी विभाग की ओर से अलर्ट किया गया है।
पंजाब में मौसम का मिजाज
पंजाब में गणतंत्र दिवस के जश्म में बारिश खलल डाल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, आज राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बरसात हो सकती है। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के चलते बीते 24 घंटों के दौरान लुधियाना में 18 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है, जो सामान्य 27 मिलीमीटर होती है। हालांकि, यह आंकड़े बीते साल जनवरी में करीब 130 मिलीमीटर से बहुत कम है। 28 और 29 जनवरी को एक बार फिर से बरसात होने की संभावना है।
राजस्थान-मध्य प्रदेश का हाल
राजस्थान में आज मौसम साफ रहेगा। मौसम विभाग ने ये अनुमान जताया है। इसके साथ ही राज्य का तापमान 9 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। वहीं, मध्य प्रदेश में आज न्यूनतम तापमान 14 और अधिकतम 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान जताया गया है।
जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी का दौर जारी
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लगातार हो रही बर्फबारी और बारिश से जीवन व्यस्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग समेत देश को कश्मीर से जोड़ने वाले सारे राजमार्ग यातायात के लिए बंद हैं। बारिश-बर्फबारी से हवाई यातायात भी प्रभावित हुआ है। कश्मीर घाटी के अधिकांश ऊंचाई वाले हिस्सों में पिछले 24 घंटों के दौरान 2 फीट से अधिक ताजा बर्फबारी हुई है।
देशभर के मौसम का हाल बताने वाली मौसम विभाग की प्रेस रिलीज के मुताबिक, एक ताजा वेस्टर्न डिस्टबर्नेंस 28 जनवरी से उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित कर सकता है, इसकी वजह से 28 और 29 जनवरी को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में हल्की और मध्यम व्यापक से व्यापक बारिश और बर्फबारी होने की संभावना है। वहीं, इस दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में हल्की और मध्यम अलग-अलग स्थानों बारिश होने की संभावना है। 29 जनवरी को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश और बर्फबारी और उत्तराखंड में छिटपुट ओलावृष्टि देखने को मिल सकती है।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़ों ने सोमवार को निर्वाचन आयोग के समक्ष अंतिम दस्तावेज़ प्रस्तुत किए. दोनों ही गुटों ने पार्टी संगठन और चुनाव चिह्न पर अपना-अपना दावा जताया.ये दस्तावेज़ उनके संबंधित वकीलों के माध्यम से सोमवार को दायर किए गए, जो कागजात पेश करने का आखिरी दिन था.
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लोकसभा में शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल शेवाले ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि निर्वाचन आयोग जल्द फैसला लेगा.” 20 जनवरी को प्रतिद्वंद्वी गुटों ने आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. दोनों पक्षों ने अपने दावे का समर्थन करने के लिए पिछले कुछ महीनों में आयोग को हजारों दस्तावेज जमा किए हैं और तीन मौकों पर आयोग के समक्ष अपने संबंधित मामलों पर बहस की है.
शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ पिछले साल जून में बगावत कर दी थी और दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन है. विद्रोह के बाद महाराष्ट्र में ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार गिर गई थी और शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे.
मौर्य प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. (फाइल फोटो)
अयोध्या:
अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर कलम करने वाले को 21 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की. गौरतलब है कि मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर टिप्पणी की थी.
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राजू दास ने कहा कि अखिल भारतीय ओबीसी महासभा द्वारा रविवार को लखनऊ में जिस तरह से रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गईं, यह स्वामी प्रसाद मौर्य का काम है. उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में यह आरोप लगाया था कि श्रीरामचरित मानस के कुछ छंदों ने जाति के आधार पर समाज के एक बड़े वर्ग का ‘अपमान’ किया और मांग की कि इन पर ‘प्रतिबंध’ लगाया जाए.
मौर्य प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे मगर 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले सपा में शामिल हो गए थे. उन्होंने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद में भेज दिया था.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले श्रीरामचरितमानस के ‘पन्ने’ की प्रतियां जलायी थीं.
राजस्थान विधानसभा के सचिव ने सोमवार को राजस्थान उच्च न्यायालय को बताया कि जिन 81 विधायकों ने पिछले साल सितंबर में राजनीतिक संकट के दौरान राज्य विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को त्याग पत्र सौंपा था, उन्होंने उन्हें वापस ले लिया है. राजस्थान उच्च न्यायालय को एक रिट याचिका के जवाब में सूचित किया गया कि 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे और वापस ले लिए गए हैं.
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राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के 81 विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर को मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के उत्तराधिकारी का निर्धारण करने के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक को भंग करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे समझे जा रहे थे.
जवाब में कहा गया, ‘विधायकों ने राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 173 (4) के अनुसार स्वेच्छा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, ऐसी स्थिति में विधायकों का इस्तीफा कानून की नजर में गैर-स्थायी हो गया है.’राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी जिसमें विधान सभा के अध्यक्ष को इस्तीफों पर निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसके कारण कुछ समय बाद वे (इस्तीफे) वापस ले लिये गये थे.
जवाब में कहा गया कि इस्तीफे छह विधायकों- मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप सचेतक महेंद्र चौधरी, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, मंत्री शांति धारीवाल, राम लाल जाट और रफीक खान ने पेश किए थे.इसमें कहा गया, ‘‘केवल 81 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा, जिनमें से पांच की फोटोकॉपी (प्रतियां) थीं.”
जवाब में यह भी कहा गया कि विधानसभा के कार्य संचालन आचरण नियमों के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जा सकते, जब तक कि वे ‘वास्तविक और स्वैच्छिक’ नहीं पाए जाते. मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी.दलील पेश करने वाले याचिकाकर्ता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा, ‘‘90 पन्नों के जवाब में एक सनसनीखेज बात सामने आई है. विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया है. इसका मतलब है कि यह दबाव में किया गया है.”