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केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अभिषेक बनर्जी
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अभिषेक बनर्जी के केंद्रीय एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के एक दिन बाद गुरुवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने टीएमसी नेता से न्यायाधीश ना बनने और इसके बजाय केंद्रीय एजेंसियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने देने का आग्रह किया। धर्मेंद्र प्रधान ने दावा किया कि भ्रष्टाचार में शामिल लोग वर्तमान में बंगाल के मामलों का प्रबंधन कर रहे हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर सत्तारूढ़ टीएमसी ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। टीएमसी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तुलना एक ‘‘वॉशिंग मशीन’’ से की, जो उनकी पार्टी में शामिल होने पर भ्रष्ट व्यक्तियों को अच्छे व्यक्तियों में बदल देती है।
“अगर गलती नहीं की तो बनर्जी इतने डरे क्यों हैं?”
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी के अधिकारियों ने बुधवार को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से 9 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। बनर्जी ने दावा किया था कि भाजपा बुधवार को विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की समन्वय समिति की बैठक में शामिल होने से उन्हें रोकना चाहती थी। इसके जवाब में आज धर्मेंद्र प्रधान ने पार्टी के एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘अभिषेक बनर्जी न्यायाधीश नहीं हैं; कानून को अपना काम करने दीजिए। वह न तो किसी फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के प्रभारी हैं और न ही न्यायाधीश हैं। यदि बनर्जी ने कोई गलती नहीं की है तो वे इतने डरे हुए क्यों हैं? बंगाल में, यह सिर्फ नारद और सारदा घोटाला नहीं है; कोयला से लेकर पशु तस्करी जैसे भ्रष्टाचार के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं। यदि कोई भ्रष्टाचार है तो केंद्रीय एजेंसियां जांच करेंगी। राज्य सरकार को भ्रष्टाचारी चला रहे हैं।’’
टीएमसी बोली- नारद घोटाले में शुभेंदु का भी नाम
वहीं टीएमसी ने केंद्रीय मंत्री की टिप्पणियों को लेकर तीखा पलटवार किया और कहा कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जारी समन विपक्षी देलों को परेशान करने के लिए राजनीति से प्रेरित है। टीएमसी की नेता और राज्य सरकार में मंत्री शशि पांजा ने कहा, ‘‘भाजपा को भ्रष्टाचार के बारे में बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनके नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम नारद घोटाले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर में दर्ज है और वह अभी भी आजाद घूम रहे हैं। उन्हें बनर्जी के खिलाफ बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग किया। हम सभी जानते हैं कि उन्हें विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक में शामिल होने से रोकने के लिए कल पूछताछ के लिए बुलाया गया था।’’
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खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।