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अब सिंपल नहीं स्टाइलिश हो गई हैं ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की ‘नंदिनी’, गौरी प्रधान की तस्वीरें देख फैंस को भी नहीं होगा यकीन

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एकता कपूर का फेमस सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ टेलिविजन इंडस्ट्री का सबसे पॉपुलर डेली सोप रहा है और इसके किरदार आज भी उन्हीं नाम से जाने जाते हैं. चाहे, वो तुलसी हो या फिर नंदिनी… जिस किरदार को गौरी प्रधान ने निभाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीवी सीरियल में भोली भाली सी नजर आई गौरी प्रधान असल जिंदगी में कैसी दिखती हैं? अगर नहीं, तो आइए हम आपको दिखाते हैं गौरी की पहले और अब की कुछ तस्वीरें.

हितेन तेजवानी और गौरी प्रधान टीवी इंडस्ट्री के सबसे फेमस कपल्स में से एक हैं, जिन्होंने टीवी पर भी एक साथ पति पत्नी का किरदार निभाया और असल जिंदगी में भी ये पति-पत्नी ही हैं.

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इस तस्वीर में दोनों एक साथ बहुत प्यारे लग रहे हैं, ये तस्वीर गौरी प्रधान और हितेन तेजवानी की 19वीं शादी की सालगिरह की है. गौरी और हितेन के दो जुड़वा बच्चे भी हैं उनके बेटे का नाम नीवान और बेटी का नाम कात्या तेजवानी है.

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गौरी का जन्म 16 सितंबर 1977 को पुणे महाराष्ट्र में हुआ. उन्होंने पुणे के ही माउंट कार्मेल कान्वेंट स्कूल से पढ़ाई की और सर परशुरामभाऊ कॉलेज से बीएससी ग्रेजुएट किया.गौरी ने 18 साल की उम्र से ही मॉडलिंग शुरू कर दी थी.

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बताया जाता है कि 1998 में जब गौरी प्रधान कॉलेज के सेकंड ईयर में थीं, तब वो फेमिना मिस इंडिया में भाग लेने मुंबई गईं और स्मृति ईरानी के साथ टॉप टेन फाइनलिस्ट में भी शामिल हुई थीं. उन्होंने स्प्राइट, ब्रू, संतूर, डाबर, कोलगेट जैसे कई टीवी ऐड में भी काम किया.

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गौरी प्रधान के टेलीविजन करियर की बात की जाए तो उन्होंने 1999 में टीवी सीरियल नूरजहां से इंडस्ट्री में कदम रखा. इसके अलावा 2000 में वो तलत अजीज के म्यूजिक वीडियो खूबसूरत में भी नजर आ चुकी हैं. वो सोनू निगम के याद गाने में भी दिखाई दी थीं. 

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गौरी प्रधान को सबसे ज्यादा सफलता 2001 में सोनी टीवी पर प्रसारित हुए सीरियल कुटुंब से मिली. इसके बाद उन्होंने क्योंकि सास भी कभी बहू थी में नंदिनी विरानी नाम की महिला का किरदार निभाया. गौरी और उनके पति हितेन तेजवानी ने नच बलिए, जोड़ी कमाल की जैसे कपल शो में भी भाग लिया.

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जादू के करतब दिखाकर पैसा जुटाएंगे लेकिन जोधपुर की जनता को निराश नहीं होने देंगे : CM गहलोत

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गहलोत ने कहा कि अगर कोई जोधपुर पर शोध करेगा तो वह उसके विकास के बारे में जानेगा. (फाइल)

जोधपुर :

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुद को जोधपुर की जनता का ‘प्रथम सेवक’ बताते हुए रविवार को कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह जादू के करतब दिखाकर पैसा जुटाएंगे लेकिन जिले के लोगों को निराश नहीं होने देंगे. कांग्रेस नेता गहलोत (72) का जन्म जोधपुर में पेशेवर जादूगरों के एक परिवार में हुआ था. उन्होंने 15वीं सदी के मेहरानगढ़ किले में आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए नवनिर्मित सड़क ‘राव जोधा मार्ग’ के उद्घाटन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए यह बाद कही. 

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बीजेपी से मुकाबले के लिए अखिलेश यादव आज से बड़े अभियान पर, हर जिले में जाएंगे; सपा ने बनाया मेगाप्‍लान   

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अखिलेश यादव बीजेपी से मुकाबले और मिशन 2024 के लिए अपने कार्यकर्ताओं को तैयार करने का बड़ा अभियान चलाने जा रहे हैं। इसके लिए पार्टी एक बार फिर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शृंखला शुरू करने जा रही है।



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पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा की भागीदारी को लेकर अहम बैठक आज, CM मान होंगे शामिल

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पंजाब यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर सोमवार को चंडीगढ़ में एक अहम बैठक होनी है. बैठक में पंजाब यूनिवर्सिटी के भविष्य और स्वरूप को लेकर फैसला लिया जा सकता है. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शामिल होंगे. यह बैठक सुबह 10 चंडीगढ़ यूटी सचिवालय में होगी. 

दरअसल, पंजाब का पड़ोसी राज्य हरियाणा अपने राज्य के कॉलेजों के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी से मान्यता देने की मांग कर रहा है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसमें हरियाणा के कॉलेजों को भी मान्यता मिलनी चाहिए, जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि पंजाब किसी तरह की भागीदारी के पक्ष में नहीं है. पंजाब यूनिवर्सिटी हमारी विरासत है और हम अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.

एक जून को चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर बैठक कर चुके हैं. इसके बाद आज सभी पक्षकारों के साथ इस मुद्दे पर बैठक होनी है. 

1882 में लाहौर में हुई थी स्‍थापना 
दरअसल, पंजाब यूनिवर्सिटी देश की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में से एक है, जिसकी स्थापना सन 1882 में लाहौर में की गई थी. हालांकि 1947 में देश के बंटवारे के बाद ये भारत के पंजाब में आई और 1966 में पंजाब,हरियाणा और चंडीगढ़ के अलग होने के बाद अब यह यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में है. 

1976 में हरियाणा ने बंद की थी ग्रांट 
पहले इस यूनिवर्सिटी को केंद्र, पंजाब और हरियाणा की सरकारें ग्रांट दिया करती थी, लेकिन 1976 के बाद हरियाणा ने ग्रांट देना बंद कर दिया और फिर केंद्र और पंजाब सरकार ही इस यूनिवर्सिटी को ग्रांट देकर चला रहे हैं. 

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं 
इस समय इस यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक पे रिवीजन के बाद यूनिवर्सिटी के पास 118 करोड रुपए का गैप है. हरियाणा सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी को ग्रांट देना फिर शुरू कर सकती है, लेकिन बदले में उसको हरियाणा के कॉलेजों के लिए इस यूनिवर्सिटी से संबद्धता चाहिए. 

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